Wednesday, 18 July 2012

लघुकथा : चोरी


एक शहर है, शहर क्या जनाब गाँव ही कहिये | एक अपंग अस्पताल, गड्डेदार सड़के, फ़ालतू घूमते युवा, अनपढ़ बच्चे, ठेकरा पहने लोग, आदि इत्यादि अनादि समस्याओं को समेटे हुये, सुना है आज उस उपेक्षित गाँव के ठेकेदार के महल का दरबाजा चोरी हो गया है और ये उस  गाँव के लोगो के  लिये सबसे  चिंतनीय विषय है| दरोगा जी ने तत्काल बैठक बुलाई है, ये तो छोटी सी समस्या है, जल्द ही हल हो जायेगी |

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