
कुछ बडकौये खीझते हुये निकले, समोसो जलेबियो पर चोंच मारी, चाय की चुस्की ली, पंख खुजाए और काओं काओं की, फिर लोगो को दिखाया की काले है तो क्या हुआ दिल वाले है... लेकिन ये नहीं तय कर पाए कि हम सब में सबसे काला कौन है ............फिर एक को याद आया ..अबे सबसे काला तो मैं हूँ ........वों जोर से चिल्ल्या काओं .........पर तब तक सारे बडकौये अपने अपने घोसलों को लौट चुके थे ....अब कल देखें क्या होता है .............
~ ©अमितेष जैन
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